ज़िन्दगी गुलज़ार है
२४ अक्टूबर – ज़ारून
आज आखिरी पेपर था और मैं इतना थक चुका था कि घर आते ही सो गया. ये
पेपर्स भी बंदे को बस हिला कर रख देते हैं. खैर मास्टर्स का एक साल तो ख़त्म हुआ और
अगला साल मेरे लिए बहुत मुश्किल है, क्योंकि फाइनल सेमेस्टर होगा. एक लंबा सिलसिला है
स्टडीज का. पिछले एक माह से पेपर्स में इतना मशरूफ़ था कि डायरी लिख नहीं पाया और
आज सोकर उठते ही डायरी को हाथ में लिया है, तो अजीब सी
तसल्ली हुई है. अब २-४ दिन तो ऐय्याशी करूंगा. ज़ाहिर है इतनी मेहनत के बाद तो मेरा
हक है. फिर वही किताबें होंगी. और हम अब मेरी डिअर डायरी गुड बाय! बातें बहुत हैं,
लेकिन फिर करूंगा, क्योंकि अभी मुझे डिनर करने
के लिए नीचे जाना है. फिर डिनर के बाद अच्छी सी कॉफ़ी और शानदार सा फिल्म शो आज
काफी मशरफ़ रहूंगा.
Radhika
09-Mar-2023 04:32 PM
Nice
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Alka jain
09-Mar-2023 04:17 PM
शानदार
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